अजय
वैश्विक मीडिया की पैनी नजर
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले के दो सप्ताह बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक कदम उठाते हुए ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकियों के नौ ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। थल सेना, वायुसेना और नौसेना की साझा रणनीति से अंजाम दिए गए इस अभियान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खासा ध्यान खींचा है।

भारतीय सेना ने इस सैन्य कार्रवाई को पूरी तरह जवाबी और आवश्यक बताया है। सेना के अनुसार, पहलगाम में हुए कायराना हमले के बाद पाकिस्तान की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिससे मजबूरन भारत को विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर आतंकी नेटवर्क पर कार्रवाई करनी पड़ी। इस ऑपरेशन में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के ठिकानों को सटीक मिसाइल हमलों से निशाना बनाया गया।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया की प्रतिक्रिया
इस कार्रवाई को लेकर दुनिया भर की मीडिया ने विस्तृत कवरेज दी है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि भारत ने पाकिस्तान में नौ गैर-सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। रिपोर्ट में अप्रैल में हुए हमले में निर्दोष नागरिकों की हत्या की भी चर्चा की गई है।
बीबीसी की रिपोर्ट में पाकिस्तान और पीओके में भारतीय वायुसेना की कार्रवाई को प्रमुखता से दिखाया गया है। इस रिपोर्ट में पाकिस्तानी सेना के बयान को भी जगह दी गई है जिसमें मिसाइल हमलों की पुष्टि की गई है।
कतर के अल-जजीरा ने इस घटना को “तनाव की नई लहर” करार दिया और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में आपातकाल की घोषणा को हाईलाइट किया है। रिपोर्ट में बहावलपुर में हुई क्षति और दो नागरिकों की मौत का भी उल्लेख है।
सीएनएन ने इस सैन्य कार्रवाई को “बड़े संघर्ष की शुरुआत” बताते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के उस बयान को शामिल किया है जिसमें भारत की कार्रवाई को ‘युद्ध के लिए उकसावा’ कहा गया है।
ब्रिटेन के अखबार गार्डियन ने अपनी हेडलाइन में “कश्मीर संकट” और पाकिस्तान की संभावित जवाबी कार्रवाई को प्रमुखता दी है। साथ ही पाकिस्तानी रक्षा मंत्री द्वारा आम नागरिकों की मौत के दावे का उल्लेख भी किया गया है।
यूएसए टुडे ने लिखा है कि कश्मीर में हिंदू पर्यटकों पर हुए हमले के जवाब में भारत ने यह सैन्य कार्रवाई की है, जिससे दक्षिण एशिया के दो परमाणु संपन्न देशों के बीच तनाव की आशंका बढ़ गई है।

निष्कर्ष
भारत की यह जवाबी कार्रवाई केवल एक सैन्य ऑपरेशन नहीं, बल्कि एक सख्त संदेश है कि आतंकवाद के खिलाफ देश अब और चुप नहीं रहेगा। वैश्विक स्तर पर भी इस कदम को लेकर गंभीरता और सतर्कता देखी जा रही है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्षेत्रीय हालात किस दिशा में बढ़ते हैं!