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जहरीली शराब कांड सपा विधायक रमाकांत यादव को हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत,जांच जारी रखने का आदेश

आज़मगढ़। वर्ष 2022 में ज़िले को हिला देने वाले ज़हरीली शराब कांड से जुड़े मामलों में समाजवादी पार्टी के विधायक रमाकांत यादव को इलाहाबाद हाईकोर्ट से फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और याचिकाकर्ता दोनों को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय दिया है। अगली सुनवाई 16 जुलाई 2025 को तय की गई है।

सपा विधायक रमाकांत यादव ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर इस आधार पर चुनौती दी थी कि एक ही घटना से संबंधित तीन अलग-अलग एफआईआर में एक साथ ट्रायल चलाया जा रहा है, जो कानूनी रूप से उचित नहीं है। याचिका में मांग की गई थी कि ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाई जाए।

विधायक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सगीर अहमद ने तर्क दिया कि एक अपराध के लिए तीन मुकदमे नहीं चलाए जा सकते। वहीं, राज्य सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल ने इसका विरोध करते हुए बताया कि तीनों मुकदमों में वादी, पीड़ित और घटना की परिस्थितियाँ अलग-अलग हैं।

सरकारी पक्ष ने कोर्ट को बताया कि यह तीनों एफआईआर 21 और 22 फरवरी 2022 को अलग-अलग व्यक्तियों—विजय सोनकर, नीरज सिंह और राजेंद्र प्रसाद—द्वारा दर्ज कराई गई थीं। जांच के दौरान तीनों मामलों में रमाकांत यादव का नाम सामने आने पर अलग-अलग चार्जशीट दाखिल की गई हैं।

कोर्ट ने सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने और याचिकाकर्ता को तीन सप्ताह में रिवाइंडर हलफनामा दाखिल करने का अवसर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने स्पष्ट किया कि याचिका लंबित रहने मात्र से ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर कोई रोक नहीं मानी जाएगी।

गौरतलब है कि फरवरी 2022 में अहरौला थाना क्षेत्र के माहुल कस्बे में ज़हरीली देशी शराब पीने से कई लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में अहरौला और फूलपुर थानों में गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज हुई थी। रमाकांत यादव पर आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 419, 471, 272, 273 और यूपी एक्साइज एक्ट की धारा 60(1) के तहत मुकदमे दर्ज हैं।

इसके अलावा, 11 दिसंबर 2024 को इसी मामले में गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई भी की गई, जिसमें पुलिस ने रमाकांत यादव के भांजे रंगेश यादव को गैंग का सरगना बताया था। इस कार्रवाई में कुल 12 आरोपियों को शामिल किया गया था।

रमाकांत यादव 30 जुलाई 2022 से जेल में बंद हैं और उनकी जमानत याचिकाएं हाईकोर्ट द्वारा कई बार खारिज की जा चुकी हैं। यह मामला जस्टिस संजय कुमार सिंह की एकल पीठ में विचाराधीन है।

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