संदीप कुमार
मुंबई: भारतीय सिनेमा के प्रतिष्ठित अभिनेता और निर्देशक मनोज कुमार का 87 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्हें बॉलीवुड में उनकी देशभक्ति फिल्मों के लिए विशेष रूप से जाना जाता था, जिससे उन्हें ‘भारत कुमार’ की उपाधि मिली थी।
मनोज कुमार लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। उन्हें हाल ही में मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां हृदय संबंधी जटिलताओं और डीकंपेंसेटेड लिवर सिरोसिस के कारण उनका निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार शनिवार दोपहर विले पार्ले श्मशान घाट पर किया जाएगा।

भारतीय सिनेमा में अमूल्य योगदान
मनोज कुमार का जन्म ब्रिटिश भारत के एबटाबाद (अब पाकिस्तान) में हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया। उनका असली नाम हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी था।
उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1957 में की थी, लेकिन 1960 और 70 के दशक में उनकी देशभक्ति से जुड़ी फिल्मों ने उन्हें एक अलग पहचान दी। ‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘क्रांति’ और ‘रोटी कपड़ा और मकान’ जैसी फिल्मों ने भारतीय दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी।
सम्मान और उपलब्धियां
मनोज कुमार को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया। उन्हें 1992 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया, और 2015 में भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान, दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उनकी 1964 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘वो कौन थी?’ में उनके अभिनय को काफी सराहा गया था। इस फिल्म के ‘लग जा गले’ और ‘नैना बरसे रिमझिम’ जैसे सदाबहार गीत आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में बसे हुए हैं।
परिवार की प्रतिक्रिया
मनोज कुमार के बेटे कुणाल गोस्वामी ने बताया कि उनके पिता पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे, लेकिन उन्होंने शांतिपूर्वक अंतिम सांस ली। उन्होंने कहा, “पापा ने अपना पूरा जीवन सिनेमा और देश के नाम किया। हमें गर्व है कि उन्होंने भारतीय सिनेमा को नई ऊंचाइयां दीं।”
उनके निधन से बॉलीवुड में शोक की लहर है। प्रधानमंत्री से लेकर सिनेमा जगत की कई हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
मनोज कुमार का जाना भारतीय सिनेमा के लिए अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनकी फिल्में और उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।